13 Nov 2022

पहाड़

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर,
पद छलनी,
हाथ लस्त,
बदन चूर,
और आंखें नम।

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर,
कंधे झुके,
पैर थके,
हथली रूखी,
और कान गर्म।

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर,
पीठ अकड़ी,
पिंडली जकड़ी,
जंघा खिंची,
और दिमाग सन्न।

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर,
गर्दन कड़ी,
नस चढ़ी,
जिह्वा छिली,
और मन मर्म।

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर।।

17 Sept 2022

जिंदगी

होवत होवत, रोवत रोवत, झूलत झूलत, हसत हसत, खावत खावत, खेलत खेलत, चलत चलत, गिरत गिरत, पढ़त पढ़त, दौड़त दौड़त, चीखत चीखत, जोड़त जोड़त, दौड़त दौड़त, चीखत चीखत, खरचत खरचत, दौड़त दौड़त, चीखत चीखत, बसत बसत, दौड़त दौड़त, चीखत चीखत, उजड़त उजड़त, दौड़त दौड़त, चीखत चीखत, दौड़त चीखत, चीखत दौड़त, थकत थकत, लेटत लेटत, सोअत सोअत, थकत थकत, दौड़त चीखत, चीखत दौड़त, डरत डरत, गिरत गिरत, न उठट उठत, मरत मरत, गड़त गड़त, या जलत जलत।

19 Mar 2022

जिंदगी की कश्मकश!

जिंदगी की कश्मकश,
असमंजस में भूले रस,
गाड़ी बंगला सब है बस,
चैन नहीं है अपने पास।

है जिंदगी की बस कशमकश!
बस जिंदगी की कश्मकश!

किस्मत का खाली झोला,
लकीरें हैं पर हाथ है मैला,
दिन झगड़ों का इक रेला,
दिन है छोटा काम हैं दस,
चले जा रहे हैं फिर भी क्योंकि
उम्मीदों का पुल है बस।

है जिंदगी की बस कशमकश!
बस जिंदगी की कश्मकश!
है जिंदगी की बस कशमकश!