13 Nov 2022

पहाड़

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर,
पद छलनी,
हाथ लस्त,
बदन चूर,
और आंखें नम।

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर,
कंधे झुके,
पैर थके,
हथली रूखी,
और कान गर्म।

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर,
पीठ अकड़ी,
पिंडली जकड़ी,
जंघा खिंची,
और दिमाग सन्न।

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर,
गर्दन कड़ी,
नस चढ़ी,
जिह्वा छिली,
और मन मर्म।

थक गया हूं चढ़ते चढ़ते,
जिंदगी के इस पहाड़ पर।।