28 May 2017

मेहमान!

इन दिनों अपने घर भी मेहमान की तरह आता हूँ,
कुछ चंद दिन ही अपनों के बीच बिताता हूँ,
जो भी मिलता है बस उनके दो ही सवाल है!
क्या हो सकते हैं? सोचिये!
कब आए बेटा घर? उसका जवाब मिलते ही !
कब जाना है वापस?

इन दिनों अपने घर भी मेहमान की तरह आता हूँ,
कुछ चंद दिन ही अपनों के बीच बिताता हूँ,
कई साल बीत गए घर को छोड़े हुए,
एक भविष्य की तलाश में निकले थे!
सोचा था भविष्य मिलते ही चल पड़ेंगे,वापस घर की ओर!
पर जो मिला वो कल था या आज?
भविष्य बस आगे बढ़ चला!

इन दिनों अपने घर भी मेहमान की तरह आता हूँ,
कुछ चंद दिन ही अपनों के बीच बिताता हूँ!

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