लिखते लिखते शब्दों को जाने कहां खो दिये,
चतुर दूरभाष यंत्र हाथ में लिए बैठे हैं। -२
उंगलियों पर अब स्याही के निशान नहीं आते,
अब सिर्फ कुंजियाँ टकटकाने की आवाज़ आती है, मेरे करीब से।-२
कुसमुसाई सी रहती हैं किताबें एक कोने में,
बेतार के तारों ने एक जाल है ऐसा कसा उनपर।-२
सिर्फ कभी हवा करने के काम आती हैं,
उनके पन्नों की, और पन्नों के बीच रखे गुलों की खुशबू,
विलुप्त सी हो गयी है, इन तारों के के बीच में।
कागज़, कलम, दवात, सब, हैं बक्से में बंद, -२,१
रोते होंगे शायद मेरी किस्मत पे। -२
चतुर यंत्रों से जो घिरा हूं मैं,
इन चतुरों के बीच कितना बुद्धु हूँ मैं।
के मेरे चार दोस्त चले गए मुझे छोड़, और मैं,
एक दुश्मन अपनी जेब लिए घूमता हूँ। -२
लिखते लिखते शब्दों को जाने कहां खो दिये,
चतुर दूरभाष यंत्र हाथ में लिए बैठे हैं।
शब्दकोश -
चतुर दूरभाष यंत्र - Smart Phone
स्याही,दवात - Ink
चतुर यंत्र - Internet of Things
कुंजियाँ - Keys of Keyboard
बेतार के तार - wireless connecttions
Inspired by Gulzaar's Poem - Kitaabein
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