तुम्हारी 51 कविताएं
सीने में मेरे रहेगी हमेशा,
और
तुम्हारे स्वरों की गूंज
मेरे कानों में।
तुम्हारे शब्दों ने झकझोरा मुझे,
मेरे कवि को उसने जगाया।
तुम्हारे आदर में सर हमेशा झुकेगा,
और जब जब सर झुकाऊंगा,
करूँगा गुरुदेव तुम्हें नमन,
और काल के कपाल पर
मैं भी लिखूंगा मिटाऊंगा
गीत नया गाऊंगा।
मेरे अंदर के कवि के गुरु श्री अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित ।
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