22 Mar 2007

वो

वो जीवन का आगाज़ भी,वो मौत की आवाज़ भी,
वो लिखी हुई किताब भी,वो अनकही बात भी,
वो सूरज की पहली किरण भी,वो डूबता चांद भी,
वो माटी की गुडीया भी,वो सोने की मूरत भी,
वो सागर सी अथाह भी,वो खतरों से आगाह भी,
वो वायु सी चंचल भी,वो पहाड़ सी अचल भी,
वो पानी सी सरल भी,वो पहाड़ सी कठोर भी,
वो क्रोध का अंगार भी,वो प्रेम् की बहार भी,
वो बंजर रेगिस्तान भी,वो हरा-भरा खेत भी,
वो गूंजता गीत भी,वो चीखती पुकार भी,
वो एक होशियार भी,वो बच्चे सी नादाँ भी,
वो एक मधुर एहसास भी,वो टूटा सा ख्वाब भी,
वो एक दोस्त भी,और साथ ही दुश्मन भी,
उसकी आंखों में एक आंसू भी,और चेहरे पर मुस्कान भी,
वो दिल के पास भी,वो मुझसे दूर भी,
ऐसी है वो,पर ना जाने कैसी है वो,
मेरी सबसे पिर्य मित्र,है वो.

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