10 May 2012

निराश

ज़िन्दगी से हताश हूँ,
न जाने क्यूँ इतना निराश हूँ,
सब कुछ तो दिया है तूने ऐ खुदा,
खुश क्यूँ नहीं मैं, न जाने क्या है माज़रा |

उठाता हूँ रोज हाथ दुआ में,
झुकाता हूँ शीश तेरे दर में,
इक दुआ तो कबूल कर ऐ खुदा,
खुश क्यूँ नहीं मैं, न जाने क्या है माज़रा ||

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