1 Aug 2016

कर्मा इस अ बिच...

कभी मज़ाक उड़ाया करते थे अपने गंजे होते दोस्तों का
आज सर और बालों में ये कशमकश सी है की
बाल सफेद पहले  होंगे या सर गंजा पहले होगा...
ये देख बस यही ख़याल आता है की
कर्मा इस अ बिच...

एक समय था खूब टाँग खीचा करते थे
अपने छोटा हाथी यारों की
आज ये आलम है की वेयिंग मशीन का काँटा
दो चक्कर लगा जाता है
साथ में मेरा सर भी चकराता है
बस यही ख़याल आता है की
कर्मा इस अ बिच...

कइयों की इज़्ज़त की फाजीदी कर दी
उनकी भैया की उमर उन्हीं अंकल बुला के
आज हर बचा अंकल बुलाता है
ये सुन दिल खीज जाता है
बस यही ख़याल आता है की
कर्मा इस अ बिच...

एक समय था जब मॅनेजर्स के घुटने टिक्वाता था
आज बच्चे हमारे टिक्वाते हैं घुटने...
कल क्या होगा यह सोच
दिल सहम जाता है
बस यही ख़याल आता है की
कर्मा इस अ बिच...

यारों की जब हुई शादी
जोरू का गुलाम बना गये वो
ऐसी बात सुनाता था
आज खुद बीवी का बैग उठाता हूँ
उसकी एक आवाज़ में भीगी बिल्ली बन जाता हूँ
दिल के अंदर बस सन्नाटा है
बस यही ख़याल आता है की
कर्मा इस अ बिच...

एक सीख बस यही इन लफ़्ज़ों की
औरों का मज़ाक बनाना बहुत ही आसान
पर यह ख़याल हमेशा दिल में रखना की
कर्मा इस सच अ बिच....

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