6 Aug 2016

मीटिंग रूम की कहानी

एक रूम में चार गँवार,
समझे खुदको बड़ा होशियार,
सोचे बिन इनके ना चले सरकार,
नाव है इनकी बिन पतवार,
सिर्फ़ लड़ाई झगड़ा और तकरार,
बुद्ध, शनि या हो रविवार,
कर दिए काई घंटे, दिन, महीने और साल बेकार,
कर दी पूरी ज़िंदगी बेकार,
एक रूम में चार गँवार!!

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