तुम्हारे अश्रुओं की इस धारा में
मैं ओत प्रोत हो जाऊँ |
तुम्हारी उलझनों को सुलझाऊं पर
सबसे बड़ा प्रश्न मैं ही रह जाऊं |
तुम्हारी बाहों में लिपट जाऊं
भगदड़ सी इस जिंदगी में थोड़ा सुकून पाऊँ |
तुम्हारे काले इन केशों को
दूर से निहारूं |
तुम्हारी खुशी के इस क्षण में
मैं भी शरीक हो जाऊं |
तुम्हारे अश्रुओं की इस धारा में
मैं ओत प्रोत हो जाऊँ |
मैं ओत प्रोत हो जाऊँ |
तुम्हारी उलझनों को सुलझाऊं पर
सबसे बड़ा प्रश्न मैं ही रह जाऊं |
तुम्हारी बाहों में लिपट जाऊं
भगदड़ सी इस जिंदगी में थोड़ा सुकून पाऊँ |
तुम्हारे काले इन केशों को
दूर से निहारूं |
तुम्हारी खुशी के इस क्षण में
मैं भी शरीक हो जाऊं |
तुम्हारे अश्रुओं की इस धारा में
मैं ओत प्रोत हो जाऊँ |
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