दीप तुम जलते रहो,
अन्धियारे को खलते रहो |
हम तुम्हारी रोशनी को,
हर पल संजोएंगे |
जो बुझती होगी बाति,
हम फिर उसे सुलगाएँगे |
गर ना मिलेगा कुछ ईंधन,
हम खुद ईंधन बन जाएँगे |
औरों को ए दीप,
प्रकाश तुम देते रहो |
दीप तुम जलते रहो,
अन्धियारे को खलते रहो!
अन्धियारे को खलते रहो |
हम तुम्हारी रोशनी को,
हर पल संजोएंगे |
जो बुझती होगी बाति,
हम फिर उसे सुलगाएँगे |
गर ना मिलेगा कुछ ईंधन,
हम खुद ईंधन बन जाएँगे |
औरों को ए दीप,
प्रकाश तुम देते रहो |
दीप तुम जलते रहो,
अन्धियारे को खलते रहो!
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