गुमसुम है क्यूँ तू इतना,
ज़िन्दगी से इतना क्यूँ है खफा,
माना की बड़े हैं गम तेरे,
पर क्यूँ तू ये भूलता है,
उन गम के संग हम भी हैं तेरे,
इन गमों को तू कर दे मेरे!
रोक मत इस दिल-ए-नादाँ को,
मचलने दे इसे खुल कर ज़रा,
थोडा तू हस ले, थोडा तू मुस्कुरा,
माना की बड़े हैं गम तेरे,
पर क्यूँ तू ये भूलता है,
उन गम के संग हम भी हैं तेरे,
इन गमों को तू कर दे मेरे!
गुमसुम है क्यूँ तू इतना,
ज़िन्दगी से इतना क्यूँ है खफा!
ज़िन्दगी से इतना क्यूँ है खफा,
माना की बड़े हैं गम तेरे,
पर क्यूँ तू ये भूलता है,
उन गम के संग हम भी हैं तेरे,
इन गमों को तू कर दे मेरे!
रोक मत इस दिल-ए-नादाँ को,
मचलने दे इसे खुल कर ज़रा,
थोडा तू हस ले, थोडा तू मुस्कुरा,
माना की बड़े हैं गम तेरे,
पर क्यूँ तू ये भूलता है,
उन गम के संग हम भी हैं तेरे,
इन गमों को तू कर दे मेरे!
गुमसुम है क्यूँ तू इतना,
ज़िन्दगी से इतना क्यूँ है खफा!
No comments:
Post a Comment