21 Jun 2010

जीवन और मैं

जीवन एक राह है 
जीवन एक नाटक भी है
इस राह में कई राही हैं
इस नाटक मैं कई पात्र हैं
पर
हर पात्र की, हर राही की 
एक नई कहानी है !
उन पात्रों और राहियों में 
एक मैं भी हूँ 

मैं, अपने अस्तित्व को तलाशता मैं
कई राही मिले मुझे , कई पात्रों से मिला मैं 
आज तक भटक रहा हूँ
उस पात्र की तलाश में
जो मुझे अनंत तक पहुंचाएगा
वहां तक मेरा साथ न छोड़ेगा 
तीन तो मेरे को प्रभु की कृपा से मिले हैं 
उनमें से भी एक खो गया है

प्रभु तुम साथ न छोड़ना
तुमसे बस यह बिनती है 
इस तुच्छ  प्राणी की 
तुम हो तो आशा है 
वरना न तो मैं हूँ 
और न ही मेरा अस्तित्व !

No comments:

Post a Comment