18 Jun 2010

कोहरा



इक चादर मैली सी
ओड़ राखी है मैंने
और गहरे कोहरे गुमनामी की तरफ 
चला जा रहा हूँ तेजी से 
साथ कोई नहीं देता मेरा
फिर भी हाथ बढाता हूँ
शायद कोई थाम ले, पर जानता हूँ 
मुझसे बुरे व्यक्ति का अस्तित्व
नहीं है दुनिया में,
फिर भी क्या करूँ खुदा ने 
इक दिल जो दे दिया 
भावुक जो बना दिया 
इसलिए हमेशा चाहता हूँ साथ किसी का 
गलती की थी मैंने ये कि
मैं भूल गया था कि
दिखावट का ज़माना है
आज मेरी और सिर्फ मेरी वजह से 
सच दिखावट से हार गया 
लानत है मुझ पर 
इसलिए अब चाहता हूँ कि ये
कोहरा कभी न हटे, कोई मुझे पहचान न सके !

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