इक चादर मैली सी
ओड़ राखी है मैंने
और गहरे कोहरे गुमनामी की तरफ
चला जा रहा हूँ तेजी से
साथ कोई नहीं देता मेरा
फिर भी हाथ बढाता हूँ
शायद कोई थाम ले, पर जानता हूँ
मुझसे बुरे व्यक्ति का अस्तित्व
नहीं है दुनिया में,
फिर भी क्या करूँ खुदा ने
इक दिल जो दे दिया
भावुक जो बना दिया
इसलिए हमेशा चाहता हूँ साथ किसी का
गलती की थी मैंने ये कि
मैं भूल गया था कि
दिखावट का ज़माना है
आज मेरी और सिर्फ मेरी वजह से
सच दिखावट से हार गया
लानत है मुझ पर
इसलिए अब चाहता हूँ कि ये
कोहरा कभी न हटे, कोई मुझे पहचान न सके !
No comments:
Post a Comment